Typhoid Bukhar ka ilaj kya hai : टाइफाइड बुखार क्या है? जानिए टाइफाइड रोग के लक्षण और उपचार के उपाय, टाइफाइड किसकी कमी से होता है?, टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज
टाइफाइड या मियादी बुखार नामक रोग हर मौसम में लोगों को संक्रमित कर सकता है, किन्तु गर्मियों के मौसम की शुरुआत होते ही इस रोग के मामले बढ़ने लगते हैं।
क्या है टाइफाइड बुखार की रोकथाम और इलाज? – Typhoid Bukhar ka ilaj kya hai
साल्मोनेला टायफी या साल्मोनेला पैराटायफी नामक बैक्टीरिया द्वारा संक्रमित होना टाइफाइड का प्रमुख कारण होता है। दूषित वातावरण और खराब साफ-सफाई इस बीमारी को फैलाती है। छोटी आंत और फिर रक्त में प्रवाहित होकर बैक्टीरिया लीवर, तिल्ली और रक्त मज्जा में आगे पनपते हैं।
इस स्थिति के बाद बुखार व अन्य लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो सप्ताह लग जाता है, जिसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं। बैक्टीरिया दोबारा रक्त में प्रवाहित होकर धावा बोल देता है और मरीज के मल में विसर्जित होने लगता है।
कैसे करें टाइफाइड बुखार की पहचान?
- इस बीमारी की शुरुआत सिरदर्द, कमजोरी और फिर धीरे-धीरे बढ़ते बुखार से होती है।
- टाइफाइड बुखार होने पर मरीज को भूख कम लगती है।
- पेट दर्द और कभी-कभी डायरिया की समस्या भी हो सकती है।
- बुखार तेजी पर पहुंच कर स्थिर हो जाता है और 3-4 सप्ताह के बाद स्वतः चला जाता है, लेकिन इलाज होने पर जल्दी ठीक हो सकता है।
* बीमारी की पुष्टि के लिए विडाल टेस्ट किया जाता है जो बुखार के एक सप्ताह के उपरांत ही पॉजिटिव आता है।
टाइफाइड बुखार का इलाज कैसे होता है?
इस रोग का उपचार एंटीबायोटिक द्वारा सरलता से हो सकता है। बशर्ते समय पर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाए। इलाज के बाद बुखार जाने में 5 से 7 दिन लग सकते हैं, पर मरीज को तबियत में सुधार महसूस होता है। टाइफाइड बुखार ठीक हो जाने पर भी एंटीबायोटिक्स का कोर्स 10 से 14 दिनों का अवश्य लेना चाहिए। क्योंकि बुखार ठीक हो जाता है, परंतु यह रिलैप्स यानी दोबारा से हो सकता है। शुरू में एंटीबायोटिक्स ग्लूकोज के सहारे नस द्वारा भी दी जा सकती है।
इस प्रकार करें टाइफाइड बुखार की रोकथाम
टाइफाइड का टीका दो वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक तीन साल पर गर्मी शुरू होने के पहले ही लगवा लेना चाहिए। सुरक्षित जल और हाथ धोने की आदत इस बीमारी को बहुत हद तक रोक सकती है। खाने- पीने का सामान तैयार करने वालो को अपनी हाइजीन (स्वच्छता) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से पहले जीवाणुनाशक साबुन से हाथ अवश्य धोएं।